*रक्षाबंधन*
भुजंगप्रयात वाचिक आधारित गीतिका
122 122 122 122 गजल की एक बह्र भी।
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रखी रेशमी सूत्र वह लाल लेकर,
बहन आ रही है सजी थाल लेकर।
करी आरती और कुंकुम रोली,
चला हर्ष भाई तिलक भाल लेकर।
मना कामना शुभ, खिलाये मिठाई,
रहा नाच भाई जु रुमाल ले कर।
बड़ी हो बहन या भले हो न छोटी
कलाई न हो सुनी सवाल लेकर।
निराली दुलारी बहन होती प्यारी,
खड़ा भाई प्यारा चपत गाल लेकर।
फुहारें समेटे चला मीत सावन
नया रूप बरसात नव चाल लेकर।
रहा सोच भाई बहन की विदाई,
पराई न बहना चली हाल लेकर।
बहन घर नये उड़ चिड़ी बन के जाती
सदा छोड़ बाबुल बुनी जाल लेकर।
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ममता तिवारी" ममता"
Shashank मणि Yadava 'सनम'
12-Aug-2022 08:41 AM
बहुत ही सुंदर रचना
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Abhinav ji
12-Aug-2022 08:35 AM
Nice👍
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Raziya bano
11-Aug-2022 07:10 PM
Bahut khub
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